Gopashtami 2024: गोपाष्टमी पर इन मंत्रों के साथ करें गाय की पूजा…खिलाएं हरा चारा; पढ़ें कथा और आरती
Gopashtami 2024: हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को ‘गोपाष्टमी’( Gopashtami) के रूप में मनाते हैं. इस बार गोपाष्टमी 9 नवम्बर यानी कल मनाई जा रही है. सनातन धर्म में इस दिन को गौ-पूजन का विशेष दिन माना गया है। मान्यता है कि इस दिन गाय की विधि-विधान से पूजा करने पर सभी देवि-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है क्योंकि सनातन धर्म में गाय में सभी देवी-देवताओं का वास माना गया है। इस दिन वृंदावन और मथुरा में विशेष रूप से कार्यक्रमों का आयोजन कर गाय की पूजा की जाती है। तो वहीं इस दिन देश के तमाम हिस्सों में लोग गायों की पूजा करते हैं.
आचार्यों के मुताबिक, यह दिन भगवान कृष्ण को समर्पित माना गया है. इस दिन गौ माता की पूजा करने के बाद उनकी आरती की जाती है. इसी के साथ ही कथा भी पढ़ी जाती है. खबर स्टिंग के पाठकों की सुविधा के लिए इस लेख के साथ पूजन विधि और कथा व आरती का पूरा विवरण दिया जा रहा है.
जानें पूजन विधि
भारतीय ज्योतिष अनुसन्धान संस्थान के निदेशक आचार्य विनोद कुमार मिश्र बताते हैं कि इस दिन प्रात:काल गायों को स्नान कराके गंध-पुष्पादि से उनका पूजन करना चाहिए। इसके बाद गायों को गोग्रास देकर उनकी परिक्रमा करनी चाहिए। इसके बाद कुछ दूर तक उनके साथ जायें तो सब प्रकार की अभीष्ट सिद्धि होती है। सायंकाल जब गायें चरकर वापस आयें, उस समय भी उनका आतिथ्य, अभिवादन और पंचोपचार-पूजन करके उन्हें हरी घास, भोजन आदि खिलाएं और उनकी चरणरज ललाट पर लगायें। इससे सौभाग्य की वृद्धी होती है।
प्रचलित कथा से जानें गोपाष्टमी का महत्व
आचार्य पंडित रवि शास्त्री बताते हैं कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत धारण किया था जिसके बाद आठवें दिन इंद्र अपना अहंकार और गुस्सा त्यागकर श्रीकृष्ण के पास क्षमा मांगने आए थे तभी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है
श्रीमद्भागवत कथा के अनुसार जब देवता और असुरों ने समुद्र मंथन किया तो उसमें कामधेनु निकली माना जाता है कामधेनु गाय को पवित्र होने की वजह से इसे ऋषियों ने अपने पास रख लिया धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कामधेनु से ही अन्य गायों की उत्पत्ति हुई ऐसे में गौ-पूजा से जुड़े इस पर्व का भारत में विशेष महत्व है पं. रवि शास्त्री के अनुसार गाय में देवी-देवता का निवास होता है मान्यता है कि गोपाष्टमी की पूर्व संध्या पर गाय की पूजा करने वाले लोगों को सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है
गोपाष्टमी पर करें इस मंत्र का जाप
सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता ।
सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस ।।
तत: सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते ।
मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी ।।
गोपाष्टमी की आरती
ॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाता
जो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पाता
सुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिले
जो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टले
आयु ओज विकासिनी, जन जन की माई
शत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाई
सुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियो
अखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियो
ममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माता
जग की पालनहारी, कामधेनु माता
संकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गाई
गौ शाला की सेवा, संतन मन भाई
गौ मां की रक्षा हित, हरी अवतार लियो
गौ पालक गौपाला, शुभ संदेश दियो
श्री गौमाता की आरती, जो कोई सुत गावे
पदम् कहत वे तरणी, भव से तर जावे।
DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)