ARTIST:रंगमंच और रामलीला के कलाकारों के लिए बड़ी खबर, उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में तलाशे जाएंगे रामलीला के कलाकार, आयोध्या शोध संस्थान तैयार करने जा रहा है रामायण कल्चरल मैपिंग, जानें क्या मिलेगा लाभ
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के थिएटर आर्टिस्ट और रामलीला में काम करने वाले कलाकारों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। दरअसल अयोध्या शोध संस्थान प्रदेश भर के 75 जिलों के शहरों व गांवों में अभियान चलाकर उन कलाकारों की खोज करेगा, जो रामलीला में बतौर कलाकार काम कर सकते हैं। यह कार्य रामायण कल्चरल मैपिंग के लक्ष्य को पूरा करने के लिए किया जा रहा है। इन कलाकारों की खोज के लिए गोंडा के शिवपूजन शुक्ल को चुना गया है।
बता दें कि रंगमंच और रामलीला से जुड़े कलाकारों को कोई आर्थिक लाभ तो मिलता नहीं है। इस वजह से जब तक कोई कार्यक्रम होता है, जब तक तो वो हिस्सा लेते हैं। इसके बाद वह फिर किसी अन्य रोजगार से जुड़ जाते हैं। इससे न केवल एक कलाकार अपनी कला को खुद के अंदर ही मार देता है, बल्कि पेट पालने के लिए तो कभी-कभी कला जगत से जुड़ता भी नहीं। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए ऐसे कलाकारों की खोज शुरू कर दी गई है जो मन और आत्मा से कलाकार हैं, मगर आर्थिक सहयोग न होने के कारण वह रंगमंच व रामलीला के मंच से दूर हैं।
ऐसे कलाकारों की खोज कर रहा है आयोध्या शोध संस्थान
आयोध्या शोध संस्थान ऐसे कलाकारों के बारे में पता कर रहा है कि वो क्या कर रहे हैं, किस स्थिति में रह रहे हैं और बतौर कलाकार उन्होंने किस किरदार को जिया है। इन सभी कलाकारों की खोज रामायण कल्चरल मैपिंग के तहत कराई जा रही है।
जानें क्या है मैपिंग
इस सम्बंध में शिवपूजन शुक्ल बताते हैं कि रामायण कल्चरल मैपिंग का उद्देश्य रामलीला में राम से लेकर वानर तक की भूमिका निभाने वाले सभी कलाकारों को सूचीबद्ध करना है। इनका नाम, विधा,पात्र, पता सहित अन्य जानकारियां भी एकत्र की जाएंगी। इसके बाद एक बुकलेट प्रकाशित की जाएगी। इससे ये होगा कि देश दुनिया में कहीं भी बैठे लोगों को कलाकारों के बारे में पूरा जानकारी मिल जाएगी और अगर किसी को भी किसी कलाकार की आवश्यकता होगी, वह तत्काल उनसे सम्पर्क कर सकेगा।
जानें क्या मिलेगा लाभ
इस बुकलेट के प्रकाशित होने के बाद लोगों को रामलीला और रंगमंच से जुड़े कलाकारों के बारे में आसानी से जानकारी हो सकेगी। इस सम्बध में दैनिक जागरण के डिजिटल प्लेटफार्म पर वायरल हो रही खबर के मुताबिक अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डा. लवकुश द्विवेदी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के गांव-गांव में रामायण कल्चरल मैपिंग का कार्य कराया जाएगा। इसकी शुरूआत गोंडा से ही होगी।