Magh Purnima: जानें माघ पूर्णिमा का क्या है धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व, गंगा स्नान और सूर्य को अर्घ्य देने से ये होता है लाभ

February 22, 2024 by No Comments

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Magh Purnima: माघ मास की पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा या माघी पूर्णिमा कहते हैं. इस बार ये पूर्णिमा 24 फरवरी, दिन शनिवार को पड़ रही है. पुराणों में इस तिथि को कल्पवास की पूर्णता का पर्व माना गया है। इस पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने का विधान भी शास्त्रों में बताया गया है. इस दिन गंगा स्न्नान करके कल्पवासी अपनी एक माह की तपस्या करके घर लौटते हैं। ये स्नान पौष मास की पूर्णिमा से शुरू होता है और माघ पूर्णिमा पर इसकी समाप्ति होती है. मान्यता है कि, इस एक दिन गंगा स्न्नान करके न केवल पूरे माह का बल्कि वर्षभर का पुण्य लाभ कमा लेते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता भी प्रयाग में गंगा में स्न्नान करके अपने लोक को लौट जाते हैं।

पुण्य कामों का मिलता है अक्षय पुण्य
पुराणों की मानें तो इस पर्व पर किए गए शुभ कामों से अक्षय पुण्य मिलता है। इस दिन वाग्देवी यानि सरस्वती के स्वरूप ललिता महाविद्या की जयंती भी है। होली से एक महीने पूर्व इस पूर्णिमा पर ही होली का डांडा लगाया जाता है, इसलिए इसे होलिका डांडा और रोपणी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

माघ में गंगा स्नान का ये है वैज्ञानिक आधार
बता दें कि, माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान को लेकर शास्त्रों के साथ ही वैज्ञानिक आधार भी बताया गया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि, माघ के महीने में ऋतु परिवर्तन होता है इसलिए नदी के जल में स्नान और सूर्य को अर्घ्य प्रदान करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। तो वहीं इसका दूसरा कारण, चंद्रमा का सम्बन्ध मन से होने के कारण भी यह व्रत मन की पवित्रता और चित्त की शांति के लिए किया जाता है। इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आध्यात्मिकता का विकास होता है।

ये है माघी पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि, ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। अतः इस दिन गंगाजल का स्पर्श मात्र भी मनुष्य को वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति देता है। तो पदमपुराण में माघी पूर्णिमा को लेकर कहा गया है कि, अन्य मास में जप, तप, दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते जितने माघ मास में गंगा स्न्नान करने से होते हैं। तो वहीं मत्स्य पुराण में कहा गया है कि, माघ महीने या माघ पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम में स्नान करने से दस तीर्थों के साथ सहस्त्र कोटि तप का पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन गंगा आदि सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप और संताप का नाश होता है। मन और आत्मा की शुद्ध होती है। इसी के साथ ही ये भी कहा गया है कि, इस दिन किया गया महास्नान समस्त रोगों का नाश करके दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है। स्नान और दान के वक्त ‘ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ का मानसिक जप करते रहना चाहिए। स्नान के बाद पात्र में काले तिल भरकर और साथ में शीत निवारक वस्त्र दान करने से धन और वंश में वृद्धि होती है। इसके अलावा इस दिन पितरों को तर्पण करना बहुत ही फलदायी माना गया है। ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और आयु एवं आरोग्य में वृद्धि होती है।