Manmohan Singh Death: भारत हो जाता आर्थिक रूप से अपंग…बचे थे मात्र 15 दिन; फिर मनमोहन सिंह ने किया था ये कमाल-Video
Manmohan Singh Death: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार की देर रात को निधन होने के बाद उनके जीवन से जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण जानकारियां सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. उन्होंने इलाज के दौरान एम्स में अंतिम सांस ली. उनका नाम देश के शीर्ष अर्थशास्त्रियों की फेहरिस्त में सम्मान से लिया जाता है. कहा जाता है कि अगर वह नहीं तो 1991-92 में भारत आर्थिक रूप से अपंग हो गया हो जाता. उनको 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए जाना जाता है. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव मिलकर भारत की आर्थिक दिशा ही बदल दी थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1991 में भारत गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा था. खाड़ी युद्ध के कारण तेल की कीमतें आसमान छू रही थीं और विदेशों में काम कर रहे भारतीयों की ओर से आने वाली धनराशि में भारी कमी आ गई थी. भारत के पास 6 अरब डॉलर का फॉरेक्स रिजर्व बचा था जो कि केवल दो हफ्तों के आयात के लिए था तो वहीं राजकोषीय घाटा 8% और चालू खाता घाटा 2.5% था. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पर देश को आर्थिक रूप से बचाने के लिए पूरी जिम्मेदारी डाल दी थी. फिर ने ऐसी नीतियां पेश कीं गई कि 1991 का साल भारत के आर्थिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ. इस साल भारत न केवल आर्थिक संकट से उबरा बल्कि उच्च विकास पथ पर भी पहुंचा.
सरदार मनमोहन सिंह जी क्या थे समझिए।#ManmohanSingh pic.twitter.com/MZHuzlEOo4
— अश्विनी सोनी اشونی سونی (@Ramraajya) December 27, 2024
उठाए गए ये कदम
व्यापार नीति में बदलाव किया गया. इसके तहत निर्यात को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए लाइसेंस प्रक्रिया को सरल बनाया गया. इसी के साथ ही निजी कंपनियों को आयात की स्वतंत्रता दी गई.
जुलाई 1991 में रुपये का दो चरणों में कुल 20% अवमूल्यन किया गया. इसका उद्देश्य भारतीय निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाना था. व्यापक आर्थिक सुधार किया गया.
विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक ऑफ इंग्लैंड और अन्य संस्थानों के पास भारत का सोना गिरवी रखा. इस कदम से लगभग 60 करोड़ डॉलर जुटाए गए.
राजकोषीय सुधार भी किया गया. यानी सब्सिडी में कटौती और टैक्स सुधारों के जरिए राजकोषीय घाटा कम करने का प्रयास किया गया था. रसोई गैस, पेट्रोल और चीनी पर सब्सिडी हटा दी गई थी.
औद्योगिक नीति में उदारीकरण किया गया. यानी लाइसेंस राज को खत्म किया गया और सार्वजनिक क्षेत्र की एकाधिकार नीति में बदलाव किया गया. विदेशी निवेश की सीमा 40% से बढ़ाकर 51% कर दी गई.
भारत को 1991 मे आर्थिक संकट से बचाने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी का 92 वर्ष की उम्र में निधन। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
Om shanti 🙏 RIP#ManmohanSingh pic.twitter.com/2v02W6K3V6— विनीता जैन (@Vinita_Jain7) December 26, 2024
1991-92 में पेश हुए बजट ने दी थी देश को नई दिशा
24 जुलाई 1991 को बजट पेश किया गया था जिसमें आर्थिक सुधारों को गति दी गई थी. इस दौरान देश में कई बदलाव किए गए. मसलन म्यूचुअल फंड में निजी क्षेत्र की भागीदारी को अनुमति दी गई. इससे भारत में विदेशी निवेश के दरवाजे खोल दिए. बजट में कॉरपोरेट टैक्स बढ़ाया गया और टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) की शुरुआत की गई. 1991 के ये सुधार न केवल आर्थिक संकट से उबरने का एक सफल प्रयास थे, बल्कि उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी. सार्वजनिक क्षेत्र के कई उद्योग निजी क्षेत्र के लिए खोले गए और भारत को वैश्विक व्यापार में अपनी जगह बनाने का अवसर मिला. मालूम हो कि मनमोहन सिंह के समय पर बनाई गईं ये नीतियां आज भी देश की आर्थिक प्रगति की नींव को मजबूत बनाए हुए हैं.