SAWAN: थाइलैंड के 103 साल पुराने श्रीविष्णु मंदिर में श्रावणी उपाकर्म कर ब्राह्मणों ने की कर्म शुद्धि, जानें क्या है उपाकर्म और प्राचीन काल में क्या-क्या किया जाता था इस दिन, वीडियो में देखें पूरी प्रक्रिया

August 12, 2022 by No Comments

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थाइलैंड के जाने-माने सबसे प्राचीन श्रीविष्णु मंदिर में गुरुवार (11 अगस्त 2022) को श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन विधि-विधान से श्रावणी उपाकर्म किया गया। इसके तहत ब्राह्मणों ने कर्म मंत्रोच्चारण के साथ कर्म शुद्धि की। साल के सबसे बड़े पर्व के दिन ब्राह्मणों ने ऋषियों और जनेऊ की पूजा करने के बाद पितरों का तर्पण किया। कार्यक्रम की जानकारी व्हाट्सअप द्वारा मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य ओमहरि शर्मा ने दी।

बता दें कि श्रावणी उपाकर्म पर ब्राह्मण वर्ग अपनी कर्म शुद्धि के लिए उपाकर्म करते हैं। यह प्रतिवर्ष सावन की पूर्णिमा के दिन किया जाता है। इस बार थाइलैंड में 11 अगस्त को श्रावणी पूर्णिमा मनाई गई थी। इसी दिन रक्षाबंधन भी मनाया गया। मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य ओमहरि शर्मा ने बताया कि शुद्धि के बाद ब्राह्मणों ने अपने यजमानों को रक्षासूत्र बांधा।

प्राचीन काल में श्रावणी उपाकर्म के दिन ही ब्राह्मण अपने यजमानों को रक्षासूत्र बांधते थे और साधु-संत एक ही जगह पर चार महीने तक रुककर अध्ययन व पठन-पाठन का कार्य प्रारम्भ करते थे। ऋषि-मुनि और साधु-सन्यासी तपोवनों से आकर गांवों व नगरों के समीर रहने लगते थे और एक ही स्थान पर चार मास तक रुककर जनता में धर्म का प्रचार करते थे। इसे ही चातुर्मास कहा जाता था और इसी क्रिया को श्रावणी उपाकर्म कहा जाता है।

इसी दिन लोग अपने बच्चों के अध्ययन का प्रथम दिन भी मनाते थे। इसी दिन यज्ञोपवीत के पूजन का भी विधान है। इसी दिन उपनयन संस्कार करके विद्यार्थियों को वेदों का अध्ययन व ज्ञानार्जन करने के लिए गुरुकुलों में भेजा जाता था। इस दिन ब्राह्मणों को किसी नदी, तालाब के तट पर जाकर शास्त्रों में कथित विधान से श्रावणी उपाकर्म करना चाहिए। इसके बाद पंचगव्य का पान करके शरीर को शुद्ध करके हवन करना ” उपाकर्म” है। इसके बाद जल के सामने सूर्य की प्रशंसा करके अरुंधती सहित सातों ऋषियों की अर्चना करके दही व सत्तू की आहूति देनी चाहिए। इसे उत्सर्जन कहते हैं।