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INTERNATIONAL YOGA DAY:लखनऊ विश्वविद्यालय के योग शिक्षक डॉ अमरजीत यादव को बनाया गया योग अमृत माह का कोऑर्डिनेटर, प्रदेश के 7.5 करोड़ लोगों को जोड़ा जाएगा कार्यक्रम से, देखें पूरी लिस्ट, वीडियो
लखनऊ। आठवां अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून, 2022 को मनाया जाएगा। इसके तहत उत्तर प्रदेश शासन द्वारा व्यापक स्तर पर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर योग कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इसके अंतर्गत 21 मई, 2022 से 21 जून, 2022 तक योग अमृत माह मनाया जाएगा। योग दिवस के कार्यक्रम, राज्य, जनपद, तहसील, ब्लॉक, पंचायत, स्तर पर मनाए जाने की योजना बनाई गई है। इसके तहत कुल 7.5 करोड़ लोगों को इस भव्य कार्यक्रम से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तर प्रदेश शासन, आयुष विभाग द्वारा उक्त कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय की फ़ैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन के शिक्षक एवं कोऑर्डिनेटर डॉ. अमरजीत यादव को उक्त समिति में कोऑर्डिनेटर नामित किया गया है।
बता दें कि डा. अमरजीत योग के प्रचार-प्रसार के लिए प्राय: ही कार्यशालाओं आदि का आयोजन करते रहते हैं। हाल ही में उन्होंने योग की दो पुस्तकें भी लांच की हैं, जो लोगों को मुफ्त में उपलब्ध कराई जा रही हैं। हाल ही में उन्होंने पी नेचुरोपैथी एंड योग टीचर्स एंड फिजिशियन एसोसिएशन की आवश्यक बैठक अलीगंज में की थी। जिसमें उन्होंने जानकारी दी थी कि योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धति है। यह चिकित्सा पद्धति औषधि विहीन है। इसमें पंचतत्वों से उपचार किया जाता है। योग और प्राकृतिक चिकित्सा सम्पूर्ण विश्व में स्वास्थ प्राप्ति का महत्वपूर्ण साधन बन गई है। उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य की जलवायु और भौगौलिक स्थिति के अनुसार यह पद्धति बहुत ही उपयुक्त है। यदि उत्तर प्रदेश सरकार इस चिकित्सा पद्धति को अपनी स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल करे तो प्रदेश के स्वास्थ्य बजट में कमी लाई जा सकती है और प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य संकट से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया जा सकता है।
योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा को मान्यता दिलाने की उठाई आवाज डॉ यादव ने जानकारी दी कि कई दशक बीत जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश में इस चिकित्सा पद्धति की संस्थाओं की मान्यता और चिकित्सकों के पंजीकरण के लिए कोई नियमावली नही बनाई गई है, जिसके कारण योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा में कार्य करने वाले लोगो का भविष्य अधर में है और भारतीय पुरातन इस चिकित्सा पद्धति का अस्तित्व भी खतरे में है। इन विषमताओं को महसूस करते हुए उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद, खंड पीठ लखनऊ में एक याचिका दायर करके नियमावली बनाने हेतु गुहार लगाई गई थी। माननीय उच्च न्यायालय ने याचिका को स्वीकार करते हुए 2014 में उत्तर प्रदेश सरकार को नियमावली बनाने के लिए आदेश प्रदान किया था किंतु आज तक नियमावली नही बनाई गई है। बता दें कि डा. यादव यूपी नेचुरोपैथी एंड योग टीचर्स एंड फिजिशियन एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं।