Utpanna Ekadashi Katha: जानें इस एकादशी का कैसे पड़ा ‘उत्पन्ना’ नाम…? पढ़ें कथा

November 22, 2024 by No Comments

Share News

Utpanna Ekadashi-2024: मार्ग शीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य को जीवन में सुख-शांति मिलती है। इसी के साथ ही इस व्रत को करने से मृत्यु के बाद विष्णुलोक का वास प्राप्त होता है.

आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि एकादशी का व्रत करने वाले को दशमी की रात को भोजन नहीं करना चाहिए. तो वहीं एकादशी के दिन ब्रह्मबेला में ही भगवान को पुष्प, जल, धूप, दीप, अक्षत के पूजन करना चाहिए. बता दें कि इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाना चाहिए. इसके अलावा इस दिन किसी की बुराई, परनिन्दा, चोरी, दूराचार, ब्राह्मणद्रोही, नास्तिक आदि की बातें नहीं करना चाहिए, अगर भूल से कोई गलती हो जाती है तो सूर्य के सामने स्थित होकर प्रार्थना करनी चाहिए.

कथा

आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि सतयुग में मुर नामक दैत्य चंद्रवती नामक राजधानी में रहता था। उसने सब देवताओं पर विजय प्राप्त कर इंद्रासन को जीत लिया था। वह सूर्य, चंद्र आदि देवताओं के स्थान पर खुद ही प्रकाश पुंज बनकर चमकने लगा। इस पर देवताओं ने भगवान विष्णु की शरण ली। तब भगवान ने उसे मारने का उपाय सोचा और युद्ध आरम्भ कर दिया। विष्णु जी ने बाणों से दानवों का तो संहार कर दिया लेकिन मुर नहीं मरा। क्योंकि वह किसी देवता के वरदान से अजेय था। युद्ध करते-करते जब काफी समय बीत गया, तो भगवान एक गुफा में घुस गए। वह मुर से लड़ना छोड़कर बद्रिकाश्रम की गुफा में आराम करने लगे। इस पर मुर ने भी पीछा नहीं छोड़ा और उनका पीछा करते हुए वह भी गुफा घुसकर जैसे ही विष्णुजी पर प्रहार करना चाहा, वैसे ही एक कन्या प्रकट हुईं और कन्या ने मुर का संहार कर दिया।

फिर भगवान विष्णु कन्या से प्रसन्न होकर बोले, हे देवी! तुम आज मार्गशीर्ष कृष्ण की एकादशी को प्रकट हुई हो। इसलिए तुम्हारा नाम एकादशी होगा। तुम्हें लोग उत्पन्ना एकादशी कहकर लोग पुकारेंगे। आज ही के दिन यह एकादशी मनाई जाएगी और इसी दिन तुम्हारी पूजा की जाएगी। तुम इस संसार के मायाजाल में मोहवश उलझे प्राणियों को मुझ तक लाने में सक्षम होगी। जो व्यक्ति इस दिन व्रत रहकर तुम्हारी पूजा करेंगे, वे पाप मुक्त होकर विष्णुलोक प्राप्त करेंगे। तेरी आराधना करने वाले प्राणी आजीवन सुखी रहेंगे। एक समय भोजन करने वाला प्राणी धन-धान्य से पूर्ण होकर सुख-लाभ भोगेगा। वही कन्या एकादशी हुई। वर्षभर की चौबीसो एकादशियों में इस एकादशी का अपूर्व माहात्म्य है। भगवान विष्णु जी से उत्पन्न होने के कारण ही इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा।

DISCLAIMER: यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)

ये भी पढ़ें-Utpanna Ekadashi-2024:  उत्तपन्ना एकादशी पर करें ये उपाय…धन की कमी से लेकर विवाह की अड़चनें तक होंगी खत्म