Vivah Panchami-2024: विवाह पंचमी पर करें ये पांच उपाय, पति-पत्नी के रिश्ते होंगे मजबूत; जानें इस दिन क्यों नहीं की जाती है शादी-Video

December 5, 2024 by No Comments

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Vivah Panchami-2024: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है और अगर किसी तरह की समस्याएं दांपत्य जीवन में चल रही है तो वे समाप्त हो जाती हैं क्योंकि सनातन धर्म में राम-सीता की जोड़ी को आदर्श दांपत्य जीवन का प्रतीक माना जाता है.

इस बार 6 दिसंबर यानी कल विवाह पंचमी का पावन पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिषआचार्यों के मुताबिक, इस दिन ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है. इस वजह से इस दिन पूजा-पाठ करना अत्यंत फलकारी रहेगा. ध्रुव योग रात 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। इस दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग भी बनेगा। मान्यता है कि इस योग में कुछ खास उपाय करने से दांपत्य जीवन में चल रही समस्याएं खत्म होती हैं.

इस दिन बेटियों के हाथ पीले करने से डरते हैं लोग

विवाह पंचमी की दिन अत्यंत शुभ माना गया है. इस दिन माता सीता और भगवान श्रीराम की पूजा करने से दाम्पत्य जीवन खुशहाल होता है लेकिन तमाम लोग इस दिन अपनी बेटियों की शादी नहीं करते. अधिकांश लोगों का मानना है कि माता जानकी को विवाह के बाद बेहद कष्ट सहन करना पड़ा था, इसलिए इस दिन बेटियों की शादी करने से तमाम लोग बचते हैं.

विवाह पंचमी पर करें ये सरल उपाय

आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री के मुताबिक, इस साल विवाह पंचमी पर कई शुभ योग बन रहे हैं. इस योग में माता सीता को सुहाग का सामान अर्पित करें. इससे पति-पत्नी में चल रहा किसी तरह का विवाद खत्म होगा.

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान श्रीराम को केसर भात का भोग लगाएं. ऐसा करने से वह प्रसन्न होते हैं। इससे दाम्पत्य जीवन में प्रेम और विश्वास बना रहता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विवाह पंचमी पर केले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। इससे विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।

विवाह पंचमी के दिन रामचरितमानस में दिए गए राम-सीता प्रसंग का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि इससे वैवाहिक जीवन की डोर और मजबूत होती है और समस्याएं दूर होती हैं.

इस दिन भगवान राम और माता सीता की विधिनुसार पूजा करें। इसी के साथ ही उनको पंचामृत का भोग लगाएं। ऐसा करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है.

सीता माता की आरती

आरति श्रीजनक-दुलारी की। सीताजी रघुबर-प्यारी की।।
जगत-जननि जगकी विस्तारिणि, नित्य सत्य साकेत विहारिणि।
परम दयामयि दीनोद्धारिणि, मैया भक्तन-हितकारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की।
सतीशिरोमणि पति-हित-कारिणि, पति-सेवा-हित-वन-वन-चारिणि।
पति-हित पति-वियोग-स्वीकारिणि, त्याग-धर्म-मूरति-धारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की।।
विमल-कीर्ति सब लोकन छाई, नाम लेत पावन मति आई।
सुमिरत कटत कष्ट दुखदायी, शरणागत-जन-भय-हारी की।।
आरती श्री जनक-दुलारी की। सीता जी रघुबर-प्यारी की।।

भगवान श्री राम की आरती

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
छंद
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
।।सोरठा।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

DISCLAIMER: यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)

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