Kharmas: जानें खरमास के दौरान क्यों नहीं किए जाते हैं मांगलिक कार्य? 15 दिसम्बर को सूर्य गुरु की राशि धनु में करेगा प्रवेश; पढ़ें पौराणिक कथा
Kharmas: हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक, खरमास के दौरान विवाह, मुंडन आदि शुभ व मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं लेकिन पूजा-पाठ, दान और खरीदारी जैसे छोटे कार्य किए जा सकते हैं. इस बार 15 दिसंबर को रात 10:19 बजे सूर्य वृश्चिक से निकलकर गुरु की राशि धनु में प्रवेश करेगा. इसके बाद 14 जनवरी को मकर राशि में सूर्य के आते ही खरमास खत्म हो जाएगा. मान्यता के अनुसार इस दौरान हिंदू धर्म को मानने वाले परिवारों में शुभ काम वर्जित रहेंगे.
मान्यता है कि खरमास के दौरान मंत्र जप, दान, नदी स्नान और तीर्थ दर्शन करना शुभ रहता है. यही वजह है कि लोग इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान व दान-पुण्य का कार्य भी करते हैं. ज्योतिष आचार्य खरमास के दौरान सूर्य देव की पूजा रोज करने की सलाह देते हैं. प्रतिदिन सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करते हुए सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए.
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि धनु और मीन राशि का स्वामी बृहस्पति होता है. इनमें राशियों में जब सूर्य आता है तो खरमास दोष लगता है. ज्योतिष तत्व विवेक नाम के ग्रंथ में बताया गया है कि सूर्य की राशि में गुरु हो और गुरु की राशि में सूर्य रहता हो तो उस काल को गुर्वादित्य कहा जाता है. इस दौरान सभी शुभ कामों के करने की मनाही है.
बदलने लगती हैं ऋतुएं
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि सूर्य जैसे ही राशि परिवर्तन करता है, उसी के अनुसार ऋतुएं बदलती हैं. खरमास के दौरान हेमंत ऋतु रहती है. तो वहीं सूर्य के धनु राशि में आते ही दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती हैं. इसी के साथ ही मौसम में तेजी से बदलाव होने लगता है. गुरु की राशि में सूर्य के आने से मौसम में अचानक अनचाहे बदलाव भी होते हैं. इसलिए खरमास के दौरान अधिकांश दिनों में बादल, धुंध, बारिश और बर्फबारी भी होती रहती है.
साल में दो बार पड़ता है खरमास
ये तो सभी जानते हैं कि एक साल में सूर्य एक-एक बार गुरु ग्रह की धनु और मीन राशि में जाता है. इस तरह साल में दो बार खरमास पड़ता है. आचार्य बताते हैं कि सूर्य वर्ष में दो बार बृहस्पति की राशियों में एक-एक महीने के लिए रहता है। जैसे इस बार 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक धनु और 15 मार्च से 15 अप्रैल तक मीन राशि में रहेगा. यही वजह है कि जब इन 2 महीनों मे सूर्य और बृहस्पति का संयोग बनता है तो किसी भी तरह के मांगलिक काम करना वर्जित माना गया है.
खरमास में क्यों नहीं करते हैं विवाह आदि मांगलिक कार्य
हिंदू धर्मग्रंथों में सूर्य को एक मात्र प्रत्यक्ष देवता और पंचदेवों में से एक माना गया है। माना जाता है कि जब सूर्य अपने गुरु की सेवा में रहते हैं तो इस दौरान सूर्य की शक्ति कम हो जाती है और गुरु ग्रह का बल भी कम हो जाता है. इन दोनों ग्रहों की कमजोर स्थिति की वजह से मांगलिक कार्य न करने की सलाह ज्योतिष आचार्यों द्वारा दी जाती है. माना जाता है कि अगर विवाह के समय सूर्य और गुरु ग्रह अच्छी स्थिति में होते हैं तो विवाह सफल होने की संभावनाएं काफी अधिक रहती हैं. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम की शुरुआत में गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी, देवी दुर्गा और सूर्यदेव की पूजा की जाती है. यही वजह है कि खरमास के दौरान विवाह आदि मांगलिक कार्य करना वर्जित माना गया है.
मकर संक्रांति पर खत्म होगा खरमास
बता दें कि 15 दिसंबर 2024 से शुरू हो रहा खरमास का समापन 14 जनवरी 2025 को होगा. मकरसंक्रांति को सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में आ जाएगा और इसी के साथ ही विवाह आदि मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे.
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक मान्यता है कि भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं. सूर्य देव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है लेकिन रथ में जुड़े घोड़े लगातार चलने से थक जाते हैं. मान्यता है कि एक बार घोड़ों की ये हालत देखकर सूर्यदेव का मन द्रवित हो गया. इस पर सूर्यदेव घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए लेकिन तभी उन्हें एहसास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा. माना जाता है कि तालाब के पास दो खर (गधे) मौजूद थे. सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और आराम करने के लिए वहां छोड़ दिया और खर यानी गधों को रथ में जोत लिया. कथा के मुताबिक माना जाता है कि गधों को सूर्यदेव का रथ खींचने में काफी मेहनत करनी पड़ी और रथ की गति भी धीमी हो गई. इस तरह से जैसे-तैसे सूर्यदेव ने इस एक मास का चक्र पूरा किया. इस दौरान घोड़ों ने विश्राम भी कर लिया. इसके बाद सूर्य देव ने फिर से रथ में घोड़े लगा दिए. इस तरह से रथ फिर से अपनी गति में लौट आया. इस तरह हर साल यह क्रम चलता रहता है. यही वजह है कि हर साल खरमास लगता है.
खरमास में करें ये काम
प्रतिदिन सुबह धर्मग्रंथों का पाठ करें. कोशिश करें कि इस महीने में कम से कम एक ग्रंथ का पाठ पूरा हो जाए. ऐसा करने से धर्म लाभ के साथ ही सुखी जीवन जीने के भी मार्ग प्रशस्त होते हैं.
खरमास में श्रीराम कथा, भागवत कथा, शिव पुराण का पाठ करना उचित माना गया है.
ग्रंथों में बताए गए सूत्रों को जीवन में उतारने से जीवन की तमाम मुश्किलें कट जाती हैं.
खरमास में दान जरूर करना चाहिए.
अगर हो सके तो खरमास के दिनों में तीर्थ स्नान एक बार अवश्य करना चाहिए.
इस दौरान जरूरतमंद लोगों, साधुजनों और दुखियों की सेवा करने का महत्व है.
घर के आसपास किसी मंदिर में पूजन सामग्री जैसे कुमकुम, घी, तेल, अबीर, गुलाल, हार-फूल, दीपक, धूपबत्ती आदि भेंट करनी चाहिए.
DISCLAIMER: यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)