Chhath Puja 2024: नहाय-खाय के साथ कल से शुरू होगा छठ पूजा का महाउत्सव…जानें कैसे रखा जाता है छठ का व्रत?
Chhath Puja 2024: पूर्वांचल (बिहार) का सबसे लोकप्रिय पर्व छठ इस बार 7 नवम्बर को मनाया जाएगा लेकिन इससे पहले ही लोगों के घरों में छठ पर्व की रौनक दिखने लगी है. बता दें कि हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की रौनक दीवाली के बाद पूर्वांचल के घरों में दिखाई देती है. हालांकि इस व्रत का प्रभाव देखकर अब पूर्वांचल के अलावा भी लोग इस व्रत को रहने लगे हैं.
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व का शुभारम्भ होगा। कानपुर के राम चंद्र तिवारी बताते हैं कि छठ में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। इस व्रत को न केवल माताएं बल्कि पिता भी अपनी संतान की दीर्घायु के लिए रखते हैं। छठ पर्व के दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा। इस व्रत में नहर या किसी पवित्र नदी के किनारे पूजा करने का विधान है। व्रती भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा करती हैं।
नहाये खाये से शुरू होगा छठ का महापर्व
बता दें कि छठ आरोग्य के देवता सूर्य की उपासना का एक बड़ा पर्व है. इस बार कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 7 नवंबर को रात 12 बजकर 41 मिनट से शुरू हो रही है, जो 8 नवंबर को रात 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, छठ पूजा 7 नवंबर को मनाई जाएगी लेकिन व्रत का क्रम कल यानी 5 नवम्बर से ही शुरू हो जाएगा. इस तरह से छठ पूजा के महापर्व की शुरुआत पहले दिन नहाय-खाय के साथ होती है. दूसरे दिन लोहंडा और खरना होता है. वहीं, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद निर्जला व्रत का पारण किया जाता है. व्रत का पारण करने के साथ ही इस पर्व का समापन हो जाता है.
इस तरह मनेगा छठ महापर्व
05 नवम्बर को नहाये खाये।
06 नवम्बर को खरना (दिनभर निर्जला व्रत रहकर रात में मीठा भोजन किया जाएगा)
07 नवम्बर को षष्ठी तिथि पर सायंकालीन अर्घ्य।
08 नवम्बर को सूर्योदय कालीन अर्घ्य।
यहां देखें सूर्योदय-सूर्यास्त का समय
हिंदू द्रिक पंचांग के मुताबिक, छठ पूजा 8 नवम्बर की सुबह पूजा का समय सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर होगा तो वहीं यह त्यौहार नहाय खाय से शुरू होता है, जिसमें सूर्योदय सुबह 6:36 बजे और सूर्यास्त शाम 5:33 बजे होगा. दूसरे दिन, जिसे लोहंडा और खरना के रूप में जाना जाता है, सूर्योदय सुबह 6:37 बजे होता है, और सूर्यास्त शाम 5:32 बजे होने की सम्भावना है. छठ पूजा या संध्या अर्घ्य को समर्पित तीसरे दिन सूर्योदय सुबह 6:38 बजे और सूर्यास्त शाम 5:32 बजे होता है। अंत में, उषा अर्घ्य या पारणा दिवस होता है, जिसमें सूर्य पुनः प्रातः 6:38 बजे उदय होता है तथा थोड़ा पहले, सायं 5:31 बजे अस्त हो जाता है। हालांकि सूर्यादय और सूर्यास्त को लेकर व्रती अपने पुरोहित से एक बार कन्फर्म अवश्य कर लें.
जानें कैसे रखा जाता है छठ का व्रत?
पहले दिन व्रती मात्र एक बार लौकी और चावल का भोजन करते हैं।
व्रत की प्रक्रिया के दौरान व्रती को भूमि पर ही सोना होता है।
खरना को पूरे दिन व्रत रहने के बाद रात्रि को चन्द्रमा के दर्शन करने के बाद मात्र रसियाव (गुड़-चावल की खीर) खाकर रहते हैं।
तीसरे दिन प्रातः से लेकर पूरी रात बिना अन्न जल के रहते है, जिसका पारण चौथे दिन होता है। अर्थात 36 घंटे तक बिना पानी व बिना कुछ खाए व्रत रखा जाता है।
इस पर्व में सूर्य भगवान व छठी मइया को देशी घी में घर का बना ठेकुआ और कसार के साथ विभिन्न प्रकार के फल व साग-सब्जी चढ़ाई जाती है।
जानें क्यों मनाते हैं छठ पर्व ?
छठ व्रत को महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए करती हैं. इस व्रत के दौरान स्वच्छता और पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि व्रत को करने से नि:संतान को संतान की प्राप्ति होती है. वहीं मान्यता है कि छठ पूजा केवल एक पर्व ही नहीं बल्कि इसे महापर्व हैं क्योंकि यह पर्व संपूर्ण आपदा से मुक्ति व मनोवांछित फलों की प्राप्ति का रास्ता खोलता है.
DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)
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