Lunar Eclipse-2023: शरद पूर्णिमा पर लग रहा है चन्द्रग्रहण, रात को इतने बजे खीर रखें चांदनी में, न करें ये काम, जानें कितने बजे से लगेगा सूतक

October 27, 2023 by No Comments

Share News

Lunar Eclipse-2023: शनिवार, (28 अक्टूबर) को खंडग्रास चन्द्रग्रहण संपूर्ण भारत में दृश्य है. इस सम्बंध में आचार्य विनोद कुमार मिश्र बताते हैं कि, चंद्र ग्रहण समय रात्रि 01:06 से 02:22 तक है. वह बताते हैं कि, ग्रहण के समय सोने से रोगी हो जाता है. इसलिए इस दौरान सोना नहीं चाहिए तो वहीं उन्होंने बताया कि चंद्र ग्रहण में सूतक लगने से ग्रहण पूर्ण होने तक भोजन करना वर्जीत है। ग्रहण के समय न बाहर जायें न ही ग्रहण को देखें। चूंकि इसी दिन शरद पूर्णिमा भी है तो रात्रि 2:22 के बाद स्नान आदि करके खीर बना के चाँदनी में रख लें और यथासम्भव 1-2 घंटें के बाद ग्रहण कर लें. सनातन धर्म में परम्परा है कि शरद पूर्णिमा के दिन चांद से अमृत झरता है. इसीलिए इस रात को गाय के दूध में चावल डालकर खीर बनाकर चंद्रमा के नीचे रखकर खाने की परम्परा सदियों से चली ई रही है.

खंडग्रास चन्द्रग्रहण को लेकर जाने महत्वपूर्ण बातें
चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर की रात 1 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगा और रात्रि में 2 बजकर 22 मिनट तक ग्रहण रहेगा ।
भारतीय समय अनुसार चंद्र ग्रहण लगने के 9 घंटे पहले यानी 28 अक्टूबर की सायं 04 बजकर 06 मिनट से सूतक काल लग जाएगा।
बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और रोगी के लिए सूतक प्रारम्भ समय रात्रि 08:36 से।

ग्रहण काल में इन नियमों का करें पालन

चन्द्रग्रहण के समय श्रेष्ठ साधक उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत (5 से 10 ग्राम {एक या दो चम्मच } का स्पर्श करके ‘ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी लेने से मेधा धारणशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त होती है ।

चन्द्रग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (09 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए । बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।

ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक ‘अरुन्तुद’ नरक में वास करता है ।

सूतक से पहले पानी में कुशा, तिल या तुलसी-पत्र डाल के रखें ताकि सूतक काल में उसे उपयोग में ला सकें । ग्रहणकाल में रखे गये पानी का उपयोग ग्रहण के बाद नहीं करना चाहिए किंतु जिन्हें यह सम्भव न हो वे उपरोक्तानुसार कुशा आदि डालकर रखे पानी को उपयोग में ला सकते हैं।

ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते । पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।

ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।

ग्रहण पूरा होने पर स्नान के बाद सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर अर्घ्य दे कर भोजन करना चाहिए।

ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए । स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।

ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए । ग्रहण के स्नान में गरम जल की अपेक्षा ठंडा जल, ठंडे जल में भी दूसरे के हाथ से निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ, निकाले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और गंगा की अपेक्षा भी समुद्र का जल पवित्र माना जाता है।

ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।

ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए । बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए।

ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं।

ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।

चंद्र ग्रहण के दौरान करें ये काम
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि ग्रहण के दौरान सीधे सूर्य को देखने से बचें
ग्रहण के दौरान गंगाजल से स्नान करें और पूरे घर व देवी-देवताओं को गंगाजल से ही शुद्ध करें.
ग्रहण के दौरान बाहर जाने से बचें.
ग्रहण के दौरान हनुमान जी की उपासना करना अच्छा माना गया है.
ग्रहण के दौरान दो सके तो खाना न खाएं. स्कंद पुराण में लिखा है कि, सूर्य ग्रहण हो या चंद्रग्रहण के दौरान भोजन करने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है और पुण्य कर्म नष्ट हो जाते हैं.

DISCLAIMER:धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों के आधार पर धार्मिक विवरण दिया गया है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)