Maghi Purnima: माघी पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी को अर्पित करें 11 गुलाब… शाम को जलाएं दीप, चंद्रदेव को पूजें, जानें क्या मिलेगा लाभ
Maghi Purnima: माघ मास की पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा कहते हैं. आचार्य विनोद कुमार मिश्र का कहना है कि, इस दिन घर के मुख्य द्वार पर सायं समय दीप जलाए शीघ्र धन लाभ का योग बनेगा।
धर्म शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि को विशेष फलदाई माना गया है। उन सभी पूर्णिमाओं में माघी पूर्णिमा का महत्व अधिक है। पुराणों के अनुसार, इस दिन विशेष उपाय करने से मां लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं। और भी कई उपाय इस दिन करने से शुभ फल मिलते हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं।
माघी पूर्णिमा माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विशेष तिथि मानी गई है। इस पूर्णिमा की रात लगभग 12 बजे महालक्ष्मी की भगवान विष्णु सहित पूजा करें एवं रात को ही घर के मुख्य दरवाजे पर घी का दीपक जलाएं। इस उपाय से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर उस घर में निवास करती हैं।
माघी पूर्णिमा की प्रातः पास के किसी लक्ष्मी मंदिर में जाएं और 11 गुलाब के फूल अर्पित करें। इससे माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की कृपा भी आपको प्राप्त होगी और अचानक धन लाभ के योग भी बनेंगे।
माघी पूर्णिमा की प्रातः पूरे विधि-विधान से माता सरस्वती की भी पूजा की जाती है। इस दिन माता सरस्वती को सफेद फूल चढ़ाएं व खीर का भोग लगाएं। विद्या, बुद्धि देने वाली यह देवी इस उपाय से विशेष प्रसन्न होती हैं।
पितरों के तर्पण के लिए भी यह दिन उत्तम माना गया है। इस दिन पितरों के निमित्त जलदान,अन्नदान, भूमिदान, वस्त्र एवं भोजन पदार्थ दान करने से उन्हें तृप्ति होती है। जोड़े सहित ब्राह्मणों को भोजन कराने से अनन्त फल की प्राप्ति होती है।
वैसे तो सभी पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा होती है किंतु माघ मास की पूर्णिमा पर इसका महत्व अधिक है। शाम को भगवान सत्यनारायण की पूजा कर, धूप दीप नैवेद्य अर्पण करें। भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें।
माघी पूर्णिमा पर दान का भी विशेष महत्व है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन जरूरतमंदों को तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी, मोदक, जूते, फल, अन्न आदि का दान करना चाहिए।
माघ मास की पूर्णिमा पर संयम से रहना,प्रातः स्नान करना एवं व्रत, दान आदि करना चाहिए। इस समय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिए इस समय व्रत करने से शरीर रोगग्रस्त नहीं होता एवं आगे आने वाले समय के लिए सकारात्मकता प्राप्त होती है।
माघी पूर्णिमा को प्रातः स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। फिर पितरों का श्राद्ध कर निशक्तजनों को भोजन, वस्त्र, तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी, जूते, फल, अन्न आदि का दान करें। इस दिन सोने एवं चांदी का दान भी किया जाता है। गौ दान का विशेष फल प्राप्त होता है।
इस दिन संयमपूर्वक आचरण कर व्रत करें। इस दिन ज्यादा जोर से बोलना या किसी पर क्रोध नहीं करना चाहिए। गृह क्लेश से बचना चाहिए। गरीबों एवं जरुरतमंदों की सहायता करनी चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके द्वारा या आपके मन, वचन या कर्म के माध्यम से किसी का अपमान न हो। इस प्रकार संयमपूर्वक व्रत करने से व्रती को पुण्य फल प्राप्त होते हैं।
मकर संक्रांति के समान ही है महत्व
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि माघी पूर्णिमा पर किए गए दान-पुण्य का लाभ मकर संक्रांति पर किए गए दान-पुण्य के समान ही मिलता है.
करें चंद्रमा की पूजा
आचार्य पंडित रवि शास्त्री बताते हैं कि धार्मिक मान्यता है, कि माघ पूर्णिमा की रात चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपनी चांद की रोशनी में मां को प्रणाम करें और फिर माता के हाथ से थोड़े से चावल लेकर अपने धनस्थान पर रख दें. मान्यता है कि इससे व्यक्ति करियर में बहुत तरक्की करता है। वहीं माघ पूर्णिमा पर जिन लोगों की बौद्धिक क्षमता कम है उन्हें 5 मिनट तक चंद्रमा की रोशनी को ध्यान से देखना चाहिए. कहते हैं पूर्णिमा पर चांद 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. ये उपाय करने पर व्यक्ति की स्मरण शक्ति तेज होती है और बुद्धि का विकास होता है. माघ पूर्णिमा के दिन आदित्यहृदय स्रोत्र का पाठ करना चाहिए. इससे कैरियर में आ रही परेशानी दूर होगी साथ समाज मे में सम्मान की प्राप्ति होगी.
DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)