ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पूरा, जिस ओर था नन्दी का मुख, उसी तरफ वजूखाने में मिला शिवलिंग, कोर्ट ने परिसर सील करने के दिए आदेश, देखें वीडियो और कोर्ट का आदेश व पूरा मामला
वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पूरा दो गया है। इस सम्बंध में हिंदू पक्ष के वकील ने मीडिया को बताया कि जिस ओर नन्दी का मुख, उधर शिवलिंग मिला है। फिलहाल वाराणसी कोर्ट ने शिवलिंग वाले स्थान को सील करने का आदेश दे दिया है। इस सम्बंध में सोशल मीडिया पर कई तमाम समाचार चैनलों के वीडियो और फोटो वायरल हो रही है। तो वहीं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पूरा, हिन्दू पक्ष का बड़ा दावा , ज्ञानवापी में मिला शिवलिंग। शिवलिंग देखते ही लोगों ने लगाए हर हर महादेव के नारे।
समाचार चैनल आज तक के वायरल वीडियो में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कोर्ट के आदेश को पढ़कर सुना रहे हैं। इसी के साथ बताया कि परिसर के अंदर वजूखाने में शिवलिंग मिला है, जिधर नन्दी का मुख था। इसी के साथ बताया कि उन्होंने मांग की है कि शिविलिंग को सुरक्षित व संरक्षित किया जाए। इस पर कोर्ट ने शिवलिंग के परिसर को सील करने के आदेश दिए हैं। इसी के साथ यहां पर किसी भी व्यक्ति के प्रवेश को निषेध कर दिया गया है। वहीं टाइम्स नाउ नव भारत का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि कई मूर्तियां भी मिली हैं। फिलहाल पूरे मामले को लेकर जो भी सामने आया है, उससे पूरा हिंदू समाज हर्षित है।
वहीं काशी के इस पूरे क्षेत्र में भारी पुलिस फोर्स तैनात है और इसका वीडियो भी वायरल हो रहा है। (सभी फोटो सोशल मीडिया से ली गई है)
देखें वाराणसी कोर्ट का आदेश
livelawhindi के अनुसार वाराणसी कोर्ट ने आदेश दिया है कि जहां शिवलिंग मिला है उस स्थान को सील किया जाए। सीलबंद जगह पर किसी भी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। वाराणसी कोर्ट को ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Mosque Case) में बताया गया कि अदालत द्वारा नियुक्त कमिश्नर को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर शिवलिंग मिला है। इसी के तहत कोर्ट ने संबंधित स्थान/क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया है। आदेश में कहा गया है, “वाराणसी के जिलाधिकारी को आदेश दिया जाता है कि वह उस स्थान को तत्काल सील कर दें जहां शिवलिंग पाया गया है और सील की गई जगह में किसी भी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित है।”
सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस आयुक्त और सीआरपीएफ कमांडेंट, वाराणसी को भी निर्देश दिया है कि वह सीलबंद जगह की सुरक्षा सुनिश्चित करें जहां ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में शिवलिंग कथित तौर पर पाए गए हैं। गौरतलब है कि कोर्ट ने 12 मई को आदेश दिया था कि ज्ञानवापी मस्जिद-काशीविश्वनाथ मंदिर परिसर में सर्वे का काम होता रहेगा और कोर्ट द्वारा पूर्व में नियुक्त कमिश्नर को हटाया नहीं जाएगा। कोर्ट ने सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा के साथ दो और वकीलों को कमिश्नर के तौर पर भी नियुक्त किया था और आगे आयोग को 17 मई तक कोर्ट के सामने एक रिपोर्ट पेश करने का आदेश भी दिया था।
इसी सर्वे में सोमवार को जब मस्जिद परिसर के अंदर शिवलिंग पाया गया तो कोर्ट को इसकी जानकारी दी गई और अब कोर्ट ने उस जगह को सील करने का आदेश दिया है। इस मामले में सबसे अहम बात यह बताई जा रही है कि ज्ञानवापी मस्जिद में स्थानीय कोर्ट द्वारा दिए गए सर्वे के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल (मंगलवार) को सुनवाई करेगा। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ कुछ हिंदू भक्तों द्वारा दायर एक मुकदमे पर मस्जिद के सर्वे के लिए वाराणसी की एक दीवानी अदालत द्वारा पारित आदेशों को चुनौती देने वाली प्रबंधन समिति अजनुमान इंतेजामिया मस्जिद वाराणसी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगी।
अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद प्रबंधन समिति ने कुछ हिंदू भक्तों की याचिका पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वाराणसी की एक अदालत द्वारा दिए गए सर्वेक्षण आदेश को चुनौती देते हुए इसे ” सांप्रदायिक सौहार्द और शांति को बिगाड़ने का प्रयास और उपासना स्थल अधिनियम का उल्लंघन” बताया है। ज्ञानवापी मस्जिद- काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में सर्वेक्षण कार्य जारी रखने के वाराणसी कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया आदेश को चुनौती देते हुए वर्तमान विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। यह ध्यान दिया जा सकता है कि मामले को तत्काल सूचीबद्ध की मांग के बाद, सीजेआई एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के लिए एक विशिष्ट तारीख तय किए बिना मामले को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था।
जाने क्या है पूरा मामला
livelawhindi के अनुसार अदालत ने गत माह पांच हिंदू महिलाओं द्वारा वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की पश्चिमी दीवार के पीछे एक हिंदू मंदिर में साल भर प्रार्थना करने की अनुमति की मांग करने वाली याचिकाओं पर परिसर के निरीक्षण का आदेश दिया था। इसके बाद स्थानीय अदालत ने पहले अधिकारियों को 10 मई तक एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। हालांकि इस दौरान सर्वेक्षण नहीं हो सका था, क्योंकि मस्जिद समिति ने मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी का विरोध किया था।
सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर के बाहर हंगामा हुआ और मस्जिद कमेटी के सदस्य मांग कर करने लगे थे कि मस्जिद परिसर के अंदर सर्वे और वीडियोग्राफी रोकी जाए। इसके बाद अंजुमन प्रबंधन मस्जिद कमेटी की ओर से याचिका दायर कर एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाने की मांग की गई। 3 दिन की बहस के बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि परिसर का सर्वे जारी रहेगा। कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के लिए नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाने से भी इनकार कर दिया था। इसी के साथ उनके अलावा कोर्ट ने विशाल कुमार सिंह और अजय सिंह को कोर्ट कमिश्नर भी बनाया।
अपने आदेश में न्यायाधीश ने अपने परिवार की सुरक्षा और न्यायाधीश की सुरक्षा पर उनकी चिंता के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की थी। आदेश में, उन्होंने इस प्रकार की थी टिप्पणी
इस साधारण से दीवानी मामले को असाधारण मामला बनाकर भय का माहौल बना दिया गया है। डर इतना है कि मेरा परिवार हमेशा मेरी सुरक्षा के बारे में चिंतित है और मुझे उनकी सुरक्षा की चिंता है। जब मैं घर से बाहर जाता हूं, मेरी पत्नी मेरी सुरक्षा के बारे में बहुत चिंतित रहती है। कल मेरी मां (लखनऊ में) ने हमारी बातचीत के दौरान भी मेरी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और मीडिया को मिली खबरों से उन्हें पता चला कि शायद मैं भी कमिश्नर के तौर पर मौके पर जा रहा हूं और मेरी मां ने मुझसे कहा कि मुझे मौके पर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इससे मेरी सुरक्षा को खतरा हो सकता है।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि एडवोकेट अजय मिश्रा की कोर्ट कमिश्नर के रूप में नियुक्ति पर सवाल उठाना उचित नहीं था, क्योंकि उन्होंने कोर्ट के आदेश के अनुसार परिसर का केवल आंशिक सर्वे किया था। विरोधी पक्ष मांग कर रहे थे कि कोर्ट कमिश्नर को बदला जाए क्योंकि वह याचिकाकर्ताओं के दबाव में काम कर रहे हैं। हालांकि कोर्ट ने उनकी प्रार्थना में कोई आधार नहीं पाया। न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्रा को हटाने से इनकार करते हुए, हालांकि, दो नए आयुक्तों – विशाल कुमार सिंह और अजय सिंह को नियुक्त किया। कोर्ट के समक्ष अपनी दलीलों में 5 याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि एडवोकेट कमिश्नर को बैरिकेडिंग के दूसरी तरफ यानी ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर और बेसमेंट में विपक्षी दलों द्वारा वीडियोग्राफी और सर्वे करने की अनुमति नहीं थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी कहा गया है कि विरोधी पक्षों ने उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर और तहखाने के अंदर जाने से यह कहते हुए रोक दिया कि अदालत का ऐसा कोई आदेश नहीं है।
पढ़ें अन्य खबरें