Akshaya Tritiya: जूझ रहे हैं आर्थिक संकट से तो… करें ये सरल उपाय

April 29, 2025 by No Comments

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Akshaya Tritiya: वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पवित्र त्योहार सनातन धर्म को मानने वालों द्वारा मनाया जाता है। इस बार यह शुभ दिन 30 अप्रैल 2025 को पड़ रहा है. इस दिन दान-पुण्य करने के साथ ही अगर कुछ सरल उपाय कर लिए जाएं तो आर्थिक संकट से मुक्ति मिल सकती है.

दरअसल अक्षय’ शब्द का अर्थ है- जिसका क्षय या नाश न हो। इसीलिए इस दिन किया हुआ जप, तप, ज्ञान तथा दान अक्षय फल देने वाला होता है अतः इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं । भविष्यपुराण, मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, स्कन्दपुराण में इस तिथि का विशेष उल्लेख है । इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका बड़ा ही श्रेष्ठ फल मिलता है ।

स्कन्दपुराण

स्कन्द पुराण में लिखा है जो मनुष्य अक्षय तृतीया को सूर्योदय काल में प्रातः स्नान करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करके कथा सुनते हैं, वे मोक्ष के भागी होते हैं। जो उस दिन मधुसूदन की प्रसन्नता के लिए दान करते हैं, उनका वह पुण्यकर्म भगवान की आज्ञा से अक्षय फल देता है।

भविष्यपुराण

भविष्यपुराण के मध्यमपर्व में अक्षय तृतीया को लेकर कहा गया है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया में गंगाजी में स्नान करने वाला सब पापों से मुक्त हो जाता है।

आर्थिक कष्ट निवारण के लिए करें ये उपाय

आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री कहते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन, जप करने जप का 10000 गुना फल प्राप्त होता है।

इस दिन गंगा-स्नान करने से सारे तीर्थ करने का फल मिलता है। गंगाजी का सुमिरन एंव जल में आवाहन करके ब्राह्ममुहूर्त में पुण्यस्नान तो सभी कर सकते हैं । स्नान के पश्चात प्रार्थना करें-

माधवे मेषगे भानौ मुरारे मधुसूदन।
प्रातः स्नानेन मे नाथ फलदः पापहा भव।।

गंगाजल से मिश्रित जल से स्नान पुण्यदायी है। पुष्प, धूप-दीप, चंदन, अक्षत आदि से लक्ष्मी नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है।

इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ या सम्पन्न किया जा सकता है । जैसे – विवाह, गृह-प्रवेश या वस्त्र-आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषिकार्य का प्रारम्भ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है।

इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है। एक बार हलका भोजन करके भी उपवास कर सकते हैं।

इस दिन पानी के घड़े, पंखे, खाँड के लड्डू, पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूँ, चावल, गौ, वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है। परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए।

पितृ-तर्पण का महत्त्व व विधि

इस दिन पितृ-तर्पण करना अक्षय फलदायी है। पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति व समृद्धि मिलती है।
इस दिन माता-पिता, गुरुजनों की सेवा कर के उनकी विशेष प्रसन्नता, संतुष्टि व आशीर्वाद प्राप्त करें। इसका फल अक्षय होता है।

आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काला तिल मिलाकर पीपल के मूल में चढ़ाएं तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जपते हुए पीपल की 7 बार परिक्रमा करें. ऐसा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है। ये उपाय हर शनिवार को भी किया जा सकता है.

DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। किसी भी प्रकार की भ्रम की स्थिति में प्रमाणिक ज्योतिषियों से ही परामर्श लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)

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