Manmohan Singh: आर्थिक सलाहकार से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक…जानें कैसा रहा मनमोहन सिंह का सफर; जीवन में 26 का रहा अजब संयोग
Manmohan Singh: भले ही देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी आर्थिक सुधारों की नीतियों ने देश को जो नई दिशा दी थी उसे देश कभी नहीं भुला सकता. उनको आर्थिक सुधारों का जनक कहा जाता है. वह 10 वर्ष तक देश के प्रधानमंत्री रहे और देश को आर्थिक रूप से उस वक्त मजबूत किया जब देश कंगाली की दिशा की ओर बढ़ रहा था. चाहे देश के हालात कितने ही विकट क्यों न रहे हों उन्होंने चुपचाप सारी समस्या को हल किया.
1991 में देश आर्थिक संकटों से घिरा तो भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया के निवेशकों के लिए खोलकर आर्थिक क्रांति ला दी। तो वहीं उनके जीवन में 26 के अंक का अजब संयोग रहा. दरअसल उनका जन्म 26 सितंबर 1932 को हुआ था और उनका निधन 26 दिसम्बर 2024 को हुआ है.
एम्स में उनको कल इलाज के लिए भर्ती कराया गया था लेकिन रात 9.51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उन्हें गंभीर हालत में रात करीब साढ़े आठ बजे आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया था। एम्स ने अपने बुलेटिन में बताया कि 26 दिसंबर को उनका आयु संबंधी चिकित्सा उपचार जारी था और वह घर पर अचानक बेहोश हो गए। उन्हें घर पर तत्काल होश में लाने के प्रयास किए गए। उन्हें रात आठ बजकर छह मिनट पर दिल्ली एम्स लाया गया। तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें होश में नहीं लाया जा सका और रात 9.51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
इसके बाद देर रात पूर्व प्रधानमंत्री का पार्थिव शरीर उनके आवास 3, मोतीलाल नेहरू मार्ग ले जाया गया. जहां पर लगातार देश के दिग्गज नेता दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. उनके परिवार में पत्नी गुरशरण कौर और तीन बेटियां हैं।
नहीं है कोई कर्ज
अगर मनमोहन सिंह की सम्पत्ति को लेकर बात करें तो 2018 में मनमोहन सिंह ने राज्यसभा सीट के लिए नामांकन दाखिल किया था. उस वक्त उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 15.77 कोरड़ रुपये बताई थी. तो वहीं एफिडेविट की मानें तो साल 2019-19 में उनकी कुल कमाई करीब 90 लाख रुपये थी. उस समय उनकी आवासीय संपत्तियों और बैंक जमा के अलावा, चंडीगढ़ और दिल्ली में उनके अपार्टमेंट की कीमत 11 साल पहले 7.27 करोड़ रुपये थी. फिलहाल तब से इनकी कीमत में काफी बढ़ोतरी हो चुकी है.
तो वहीं 2013 में पूर्व प्रधानमंत्री के एसबीआई खाते में जमा और निवेश में कुल 3.46 करोड़ रुपये थे. एफिडेविट में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि उनके ऊपर कोई बकाया कर्ज नहीं था. इसी के साथ ही उस वक्त उनके पास 30,000 रुपये की नकदी और 3.86 लाख रुपये के गहने का जिक्र किया गया. तो वहीं 2013 के हलफनामे की मानें तो पोस्टल सेविंग स्कीम में उनके पास 12 लाख 76 हजार रुपये थे.
आइए अब देखते हैं किस तरह रहा उनका नौकरशाही से लेकर राजनीति तक का सफर रहा…
1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर किया.
1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इकॉनमिक्स ट्रिपोस (तीन वर्षीय डिग्री प्रोग्राम) किया.
1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल किया.
1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए।
1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त हुए।
1980-82 में योजना आयोग के सदस्य रहे.
1982-1985 में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे.
1985-87 में योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
1987-90 में जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव रहे.
1990 में आर्थिक मामलों पर प्रधानमंत्री के बतौर सलाहकार नियुक्त हुए।
1991 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष नियुक्त हुए।
1991 में असम से राज्यसभा के लिए चुने गए और 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर से चुने गए।
1991-96 मेंपीवी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे.
1998-2004 में राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे.
2004 से लेकर 2014 तक लगातार दो बार भारत के प्रधानमंत्री रहे.