Mahagauri Maa Puja in Navratri: अष्टम मां महागौरी की इस तरह करें पूजा, भरेगी खाली गोद, पढ़ें आरती और मंत्र
Mahagauri Maa Puja in Navratri: चैत्र हो या शारदीय नवरात्र, इस की अष्टमी को माँ शक्ति के आठवें स्वरुप अष्टम मां महागौरी की पूजा-अर्चना करने का विधान पुराणों मे बताया गया है। दुर्गाअष्टमी को महाअष्टमी भी कहा गया है। मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की नौ देवियों की कथा पढ़ने से पूरे नवरात्र का फल प्राप्त हो जाता है। इसी के साथ इस दिन और नवमी को कन्या पूजन कर पूर्ण आहूति देनी चाहिए। इसी दिन आदिशक्ति भवानी का प्रादुर्भाव माना गया है। मां भगवती को महानतम शक्तिशाली माना गया है, इसीलिए अष्टमी को महाष्टमी कहा गया है।
ऐसी है महागौरी की छवि
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि माँ शक्ति के अष्टम रूप को महागौरी के नाम से जाना जाता है। माँ के सभी वस्त्र और आभूषण हिम के समान सफेद हैं। उनका वाहन भी हिम के समान ही सफेद बताया गया है। माता का वाहन वृषभ अर्थात बैल है। वस्त्र और आभूषण श्वेत होने के कारण ही माँ को श्वेतांबरधरा भी कहा जाता है। महागौरी की छवि की बात करें तो माँ की चार भुजाएं हैं। एक हाथ में डमरू और एक हाथ में त्रिशूल है तथा अन्य दो हाथ अभय और वर मुद्रा में दिखाई देते हैं। माता महागौरी अपने भक्तों को सच्चाई की राह पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
प्रतिदिन पूजा से होती है संतान की प्राप्ति
मान्यता है कि मां महागौरी की प्रतिदिन पूजा-आरती करने से संतान की प्राप्ति होती है। माता की उपासना से भक्तों के कष्ट व पाप कट जाते हैं और माता राह से भटके हुए को भी अच्छे मार्ग पर ले आती हैं। माँ शक्ति के इस रूप की पूजा से पाप, संताप, निर्धनता, दीनता और दुख पास नहीं आते। जो महिलाएं नवरात्र के अलावा भी प्रतिदिन माँ की पूजा श्रद्धा भाव से करती हैं, वह हमेशा सौभाग्यवती रहती हैं। कुंवारी कन्याओं को योग्य वर मिलता है, तो पुरुष का जीवन सुख और ख़ुशी से भरा रहता है। माता की प्रतिदिन पूजा से संतान की प्राप्ति होती है।
इस तरह से करें मां को प्रसन्न
मान्यता है कि माता महागौरी भक्तों को पुत्र कि तरह स्नेह और प्यार करती हैं। इनकी पूजा के बाद शहद, कमलगट्टा और खीर से हवन करने से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। नवरात्र की अष्टमी के दिन माता की पूजा-अर्चना कर नारियल का भोग लगाने से घर में सुख-समृद्धि आती है। मान्यता है कि इस दिन नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करने से हर तरह की बाधाएं भी दूर हो जाती हैं। महागौरी के पूजा करने के बाद पकवान, मिठाई, हलवा आदि कन्याओं को दान में देना चाहिये। अगर हमेशा माता का आशीर्वाद प्राप्त करना है तो प्रत्येक दिन व खासकर शनिवार को माता की पूजा-आरती जरूर करें। इस तरह से महागौरी माता का सिर सदैव अपने बच्चों पर बना रहेगा।
मंत्र
श्वेतवृषे समारूढ़ा श्वेतांबर धरा शुचिः
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा
आरती
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरी वहां निवासा ।।
चंद्र कली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती हवन कुंड में था जलाया ।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया।
शरण आने वाले का संकट मिटाया।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।
DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)